"चिड़िया तो आसमान की है!"
"मां... मुझे सोने में नहीं आ रहा है !! " अनमने स्वर में मुट्ठी आंखों पर मसलते, ऋषि ने कहा, और बिछावन पर गुडुर मुडुर ढुलकने लगा। मैंने उसे गोदी लेने का असफल प्रयास करते हुए सुधारा -"नींद नहीं आ रही है कहते हैं।" उसने तुरंत मुझे टोका,"अरे! नींद आई हुई है, देख! सोने में नहीं आ पा रहा है न! " उसने आंखे बहुत चौड़ी करके मेरे ठीक सामने कर दी और उछल कर गोदी आ गया। मैंने हार मान कर पूछा, "तो अब क्या करूं? ताई ताई कर दूं!" __ "नहीं, देवदत्त की कहानी सुना दो " उसने गंभीरता से कहा। __ " बुद्धू! वो देवदत्त की कहानी नहीं है, सिद्धार्थ की कहानी है। __ " भाई ! तीर वाले अंकल की कहानी सुना दो न! " तीर तो देवदत्त ने ही चलाया था, सो देवदत्त की कहानी ही सही। मैंने शुरू की... एक समय की बात है, एक देवदत्त था और एक था सिद्धार्थ, सिद्धार्थ एक पेड़ के पास बैठा था, खुश हो के सब कुछ देख रहा था, कैसे नदी बह रही है, फूल कैसे सुंदर हैं, हवा से पत्ती सरक रही है, खाने की अच्छी खुशबू आ रही है.. देखते देखते देखते देखते उसने ऊपर देखा... वाह! कितनी सु...