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Showing posts from July 13, 2025

वो चेहरा मेरा नहीं था...

      कल रात एक सपना देखा। सपने में मैं घर जैसे दिखने वाले एक स्थान से बाहर निकली और रोज़ की ही तरह अपने मार्ग पर चलने लगी। रास्ता लंबा था और कई सारे लोग मुझे मिले जिन्हें मैं नहीं जानती थी । वे सब मेरी और देखकर मुस्कुराते, कुछ कहते, लेकिन मैं उनकी भाषा नहीं समझ रही थी। उनके हावभाव से मैंने अनुमान लगाया कि शायद वे अभिवादन और औपचारिक कुशलता पूछने का अपना अभ्यस्त क्रम दोहरा रहे हैं। मैं प्रतिक्रिया में मुस्कुरा देती। तेज़ कदमों से मैं अपने गंतव्य तक पहुँची। वहाँ सबके चेहरे परिचित थे फिर भी मुझे उन्हें पहचानने में कठिनाई हो रही थी। अब मेरी हृदयगति बढ़ने लगी। मैंने रोज़ की भाँति उनसे संवाद करने का प्रयास किया लेकिन उनकी भाषा मुझे पूर्णतः अपरिचित लग रही थी, यद्यपि वे एक-दूसरे की बात ठीक ठीक समझ रहे थे। मुझे अपने भीतर घबराहट रेंगती हुई प्रतीत हुई। मैंने अपनी बात उनसे कहने का प्रयास किया लेकिन वे सभी भौंचक से मेरे हावभाव को पढ़ने का प्रयास कर रहे थे। मुझे प्रतीत हुआ की मेरा स्वर धीमा होता जा रहा है। मैंने अपनी समस्त शक्ति लगाकर कर ऊँचे स्वर में अपनी बात समझनी चाही, मगर वे सभी कु...