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मुझे सरलता आकर्षित करती है.... जंगल की रौद्र भयावह सरलता !

मेरे पास एक गिटार है।  कभी - कभी मैं उसे अपने बगल में रख के सोती हूं। मुझे बजाना नहीं आता।  सीखना शुरू किया था , फिर अधूरा छोड़ दिया। अब भी कभी -कभी यू-टयूब पर कॉर्ड्स बजाने के तरीके ढूंढ लिया करती हूं , उंगलियां  निर्धारित ढंग से खूब जमा कर 2-3  मिनट वक़्त जाया करती हूं , फिर तारों को अपने ही बेतुके ढंग में टुनटुनाने लगती हूं। घंटो बीत जाते हैं बिना नाम, बिना सुर की बेढंगी धुन बजाते , सुनते।  अच्छा लगता है। मन का सारा शोर जैसे संगीत में बदल जाता है।  बेतुका संगीत ! जैसा जीवन है।                सुर, लय  और ताल में गुंथा हुआ संगीत पैदा करने के लिये साधना की ज़रूरत है, अनुशाषन , नियमबद्ध आचरण की ज़रूरत है। मेरे बस का कहाँ !! तुम तो जानते हो ! मुझे सरलता आकर्षित करती है.... जंगल की सरलता ! रौद्र सरलता ! वो सरलता जो भयावह होती है। प्रकृति सुलभ सरलता। वो सरलता जो सीमेंट की ढ़हनापेक्षी दीवार से उग आई पीपल की अनअपेक्षित पौध में है, वो सरलता जो तमाम पूर्वनिर्धारित योजनओं की सूची की ओर भागते हुए अचानक टकरा जाने वा...