तुम्हें लगता है वो तुम्हारे लिए ख़तरा हैं? तुम्हें ठीक लगता है।

कुछ बातें शब्दों तक सीमित नहीं रहतीं। कुछ बातें नसों में उतर जाती हैं, पिघले हुए कांच की तरह। एहसास दिलाती रहती हैं कि सब पहले जैसा नहीं रहा। सब पहले जैसा नहीं हो सकता। कुछ बातें जीवन की गति को बदल देती हैं। ऐसी ही बात थी जिसको मैंने किसी से कहा नहीं, लेकिन सबने सुना, सबने देखा, की मेरी नसों में कोई कांच पिघला हुआ सा दौड़ता है।
      अब ये सब क्यों कह रही हूं? क्योंकि अब देखती हूं, गंगा घाट पर मुझसे दो सीढ़ियों आगे एक और लड़की बैठी है, उसकी नसों में भी वही कांच बहता है। उसने ऊंचा जूड़ा बांधा है, फोन बैग के ऊपर लापरवाही से रखा है, नदी की ओर देखती हुई शांत बैठी है। बीच- बीच में मुस्कुराती है। उसकी आंखो में दर्द नहीं है। 
      उसी लड़की के सामने से 12-13 साल की बच्ची दौड़ी हुई जाती है, दो और बच्चियों के पीछे। एक आदमी उसे गालियां दे रहा है, उसके जननांगों से संबंधित गालियां, पूर्ण विस्तार में! क्या वो समझती है!! हां, समझती है ! बच्ची के पांव धीमे पड़ते हैं, मुड़ कर देखती है, आदमी उसकी ही और बढ़ रहा है, वो तेज़ी से  सीढ़ियां चढ़ती हुई मेरे सामने की सीढ़ी पर खड़ी होती है। उस आदमी को अपने पास आने देती है। मैं उसे देख रही हूं, ये क्या! उसकी नसों में भी वही कांच !! लेकिन उसकी आंखें गर्म तवे सी, उसके हाव भाव में बचपन नहीं है। अब तक वो आदमी उसके पास पहुंच गया है ! उसके बाल अपनी मुट्ठी में पकड़ कर उसने इस तवे सी आंखों वाली बच्ची को घसीटना शुरू किया ही था, और मेरे आगे बैठी वो लड़की अरे ! अरे! कहती खड़ी ही हुई थी कि इस बचपन विहीन बालिका ने पूरे ज़ोर से उस पौरुष विहीन आदमी पर दांत गडा दिए, उसकी पकड़ ढीली पड़ गई, इसने झटके से उस लंबे चौड़े आदमी को पीछे धकेला और लगभग चीखते हुए बोली , "भाग भोसडीके" और तेज़ी से उसी ओर भाग गई जिधर उसका रास्ता था, हंसती हुई। मैंने अपने आगे वाली उस लड़की की ओर देखा, हमारे चेहरे पर भी सम्मिलित हंसी दौड़ गई।  

            सब पहले जैसा तो नहीं हो सकता। शायद पहले से बेहतर हो सकता है। गर्म तवे सी आंखो वाली लड़कियां, नुकीले दांतो वाली लड़कियां, तेज़ आवाज़ वाली लड़कियां, ऊंचे जुड़े वाली लड़कियां, काली बिंदी वाली वाली लड़कियां, लाल सलाम वाली लड़कियां, बुरी समझी जाने वाली लड़कियां, बत्तमीज लड़कियां, नसों में कांच लिए फिरने वाली लड़कियां कुछ बदल रही हैं। 

तुम्हे वो पसंद नहीं आती । उन्हें तुम्हारी पसंद की परवाह नहीं है। तुम्हें लगता है वो तुम्हारे लिए ख़तरा हैं? तुम्हें ठीक लगता है। 
   

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