मुझे सरलता आकर्षित करती है.... जंगल की रौद्र भयावह सरलता !

मेरे पास एक गिटार है।  कभी - कभी मैं उसे अपने बगल में रख के सोती हूं। मुझे बजाना नहीं आता।  सीखना शुरू किया था , फिर अधूरा छोड़ दिया। अब भी कभी -कभी यू-टयूब पर कॉर्ड्स बजाने के तरीके ढूंढ लिया करती हूं , उंगलियां  निर्धारित ढंग से खूब जमा कर 2-3  मिनट वक़्त जाया करती हूं , फिर तारों को अपने ही बेतुके ढंग में टुनटुनाने लगती हूं। घंटो बीत जाते हैं बिना नाम, बिना सुर की बेढंगी धुन बजाते , सुनते।  अच्छा लगता है। मन का सारा शोर जैसे संगीत में बदल जाता है।  बेतुका संगीत ! जैसा जीवन है।

               सुर, लय  और ताल में गुंथा हुआ संगीत पैदा करने के लिये साधना की ज़रूरत है, अनुशाषन , नियमबद्ध आचरण की ज़रूरत है। मेरे बस का कहाँ !! तुम तो जानते हो ! मुझे सरलता आकर्षित करती है.... जंगल की सरलता ! रौद्र सरलता ! वो सरलता जो भयावह होती है। प्रकृति सुलभ सरलता। वो सरलता जो सीमेंट की ढ़हनापेक्षी दीवार से उग आई पीपल की अनअपेक्षित पौध में है, वो सरलता जो तमाम पूर्वनिर्धारित योजनओं की सूची की ओर भागते हुए अचानक टकरा जाने वाली मृत्यु में है।

             मेरे घर में आम का लगभग सा पेड़ है जिसपर थोड़े बहुत कच्चे-पक्के आम फले हैं , घर के सदस्य अपेक्षाओं से लदे-फदे उन आमों का भविष्य जीभ में घुलाएँ उससे पहले किसी रात आंधी आ जाती है , आम उनकी अपेक्षाओं को धुल चटाते ज़मीन पर ढेर होते हैं। चिड़ा-चिड़िया का एक जोड़ा उन्ही कच्चे-पक्के आमों में से थोड़ा-थोड़ा सा जीवन तीन नन्हें नवागंतुकों की चोंच में भरने का उपक्रम कर रहा है। इन तीन नवागंतुकों में से एक उड़ नहीं पा  रही है, पेड़ पर अक्सर एक बिल्ली भी आया करती है। ये सारा दृश्य मेरी खिड़की से दिखता है। वहीं  खिड़की पर छिपकली ने अंडे दिए हैं।  चार अंडे ! चार अण्डों का मतलब चार लिजलिजी छिपकलियाँ। मगर मैं अंडे नहीं फेक सकती। मातृत्व कचोटने लगता है। कुछ दिन बाद एक गिजगिजाने वाली सिहरन पैरों की तली  से सारे शरीर में दौड़ जाती है !! नन्हा छिपकली का बच्चा ! दिखा ही नहीं!!
          यही बेतुकी सरलता मुझे सच्ची मालूम होती है। मैं इसी भयावह प्रकृति सुलभ सरलता को साक्षी मानकर जी रही हूं। यही जंगल की रौद्र सरलता मेरे जीवन दर्शन का सार है।

          मेरा क्षणिक अस्तित्व किसी जटिल साधना में तपकर सुर-लय -ताल में बंधे हुए संगीत की अपेक्षा नहीं रखता ! मेरा क्षणिक अस्तित्व मेरे गिटार की इसी बेतुकी बेढंगी धुन के सानिध्य में सुकून पाता  है। 

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