एक और जन्मदिन...
उम्र सीढियां उतरने लगी है, उसी घाट की ओर जहां चढ़ना उतरना लगा रहता है। अब घाट किनारे लोग कम हैं, भीड़ ज्यादा है। वहां गंगा नदी है जहां पहले गंगाजी होती थीं। महक तो है, खुशबू मगर चुप हो गई है। दिए अब ज्यादा जलते हैं, दिखाई कुछ नहीं पड़ता। वहीं से थोड़ा आगे कुछ नहीं है।
मगर इस घाट से उस कुछ नहीं तक ये जो छोटी सी दूरी है, ज़रा घटती नहीं है। वही एक लंबी डुबकी मैं आधे मन से ले रही हूं, वही उद्दाम सीढ़ी मैं फिर से चढ़ रही हूं।
शतायु भवः 😃
ReplyDeleteSmita ! Happy Birthday, live a healthy and happy life.
ReplyDeleteThankyou
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